वर्ष 1971 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परामर्शी समूह (सीजीआईएआर), विविध दाताओं की एक कार्यनीतिक साझेदारी है, जो 15 अंतरराष्ट्रीय केंद्रों की सहायता करता है तथा दुनिया भर में सैकड़ों सरकारी और नागरिक समाज संगठनों के साथ-साथ निजी व्यवसायों के सहयोग से काम करता है। सीजीआईआर के दाताओं में विकासशील और औद्योगिकीकृत देश, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन और निजी संस्थाएं शामिल हैं।
सीजीआईएआर का उद्देश्य गरीबी और भुखमरी को कम करना, मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना तथा उच्च गुणवत्ता वाले अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान, साझेदारी और नेतृत्व के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन को बढ़ाना है।सीजीआईएआर के उद्देश्य हैं:
परिवर्तन प्रबंधन के तहत सीजीआईएआर
दिसंबर, 2009 में सीजीआईएआर ने तेजी से बदलते बाहरी वातावरण में अनुसंधान परिणाम प्रदायगी में सुधार के लिए डिज़ाइन किया गया एक नया संस्थागत मॉडल अपनाया। ये सुधार, अधिक परिणाम-उन्मुख अनुसंधान एजेंडा को बढ़ाने, सीजीआईएआर में स्पष्ट जवाबदेही और शासन तथा कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित करने के लिए किए गए थे।नए मॉडल में दाताओं और शोधकर्ताओं के बीच एक संतुलित साझेदारी शामिल है, जिसे 2010 में स्थापित किया गया था। नया सीजीआईएआर फंड दाताओं के अंशदानों को समरूपित करके वित्त की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाता है, जबकि नया कॉन्सोर्टियम केन्द्रों को एक कानूनी इकाई के तहत एकत्र करता है जिससे अनुसंधान करने के लिए केन्द्रों और अन्य भागीदारों के साथ समझौते करने हेतु निधि एकल प्रवेश बिंदु से प्रदान होती है।
अधिक कार्यक्रम उन्मुखी दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हुए, सीजीआईएआर केंद्र अब एक कार्यनीति और परिणाम ढांचे के भीतर काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य अधिक दक्षता और विकास प्रभाव के लिए सहयोग को मजबूत करना है। सीजीआईएआर अनुसंधान कार्यक्रमों की एक रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे सीजीआईएआर वैज्ञानिकों और भागीदारों को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक सामान उपलब्ध कराने के नए साधन मिलते हैं जो विकास में प्रमुख वैश्विक मुद्दों का समाधान करते हैं।
एक स्वतंत्र विज्ञान और भागीदारी परिषद (आईएसपीसी) सीजीआईएआर को महत्वपूर्ण सलाह और विशेषज्ञता प्रदान कर रही है।
नया सीजीआईएआर मजबूत और अधिक गतिशील साझेदारी को बढ़ावा देता है, जो राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों को मजबूत करते हुए उच्च गुणवत्ता अनुसंधान परिणाम उत्पन्न करता है। दाताओं, साझेदारों तथा लाभार्थियों सहित हितधारक, कार्यनीति और सीजीआईएआर अनुसंधान कार्यक्रमों के डिजाइन में इनपुट प्रदान करते हैं। वैश्विक कृषि अनुसंधान विकास सम्मेलन (जीसीएआरडी) नए अनुसंधान कार्यक्रमों के विकास में किसानों, वन तथा मछुवारा समुदायों और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियों (एनएआरएस) सहित अंतिम उपयोगकर्ताओं को शामिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
विकास के लिए कृषि अनुसंधान में अपने योगदान को सुसंगत बनाने के उद्देश्य से सीजीआईएआर दानकर्ता सीजीआईएआर निधि में एक जुट हुए हैं। यह दो-स्तंभीय प्रबंधन संरचना चार संयोजन (ब्रिजिंग) तंत्रों सहित स्थापित की गई है। सबसे प्रमुख कार्यनीति और परिणाम फ्रेमवर्क (एसआरएफ) है, जो सीजीआईएआर की नई दृष्टि और कार्यनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप परिणाम-उन्मुख अनुसंधान कार्यों (एजेंडा) के लिए मार्गदर्शन करता है। कंसोर्टियम, निधि दाताओं, अनुसंधान भागीदारों, लाभार्थियों और अन्य हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष परामर्श और द्विवार्षिक वैश्विक कृषि अनुसंधान विकास सम्मेलन (जीसीएआरडी) के माध्यम से एसआरएफ को तैयार करने और परिष्कृत करने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
सीजीआईएआर अनुसंधान कार्यक्रम (सीआरपी) मुख्य तंत्र है जिसके द्वारा सीजीआईएआर अनुसंधान के अधिक परिणाम प्राप्त करेगा।
भारत ने हाल ही में सीजीआईएआर सिस्टम काउंसिल में वित्तपोषक सीट ग्रहण की है, जो जनवरी 2024 से 2026 तक प्रभावी रहेगी।आईसीएआर और सीजी केंद्रों के बीच सहयोगात्मक कार्य योजनाएं
आईसीएआर की सीजीआईएआर के 11 केंद्रों के साथ सहयोगात्मक कार्य योजनाएँ हैं। इन संबंधित केंद्रों के बारे में अधिक जानकारी, दिए गए हाइपरलिंक में देखी जा सकती है।
आईसीएआर और सीजीआईएआर केंद्रों के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित कार्य योजनाएं
क्रम सं. | कार्य योजना | दिनांक | विवरण |
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1 | दोनों महानिदेशकों के बीच नई दिल्ली में आईसीएआर- आईसीआरआईएसएटी कार्य योजना 2024-28 पर हस्ताक्षर। | दिनांक 5 जुलाई, 2024 को हस्ताक्षरित। | इस कार्ययोजना में आनुवंशिक लाभ में तेजी लाना, उपज अंतर को पाटना, मूल्य श्रृंखला विकास, उभरते विज्ञान और क्षमता निर्माण जैसे नए क्षेत्रों के लिए सहयोग शामिल है। |
2 | दोनों महानिदेशकों के बीच नई दिल्ली में आईसीएआर- डब्ल्यूएफसी कार्य योजना 2024-28 पर हस्ताक्षर। | 28 जून, 2024 को हस्ताक्षरित। | सहमत सहयोग को चार प्रमुख पहलों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा : 1. टिकाऊ जलीय कृषि 2. सृदृढ़ लघु-स्तरीय मत्स्य पालन 3. मूल्य श्रृंखलाएं तथा पोषण और 4. दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना। |