परिपत्र पुरालेख

  • 24th May 2022
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  • 21st April 2022

    12 अप्रैल, 2022, नई दिल्ली

    डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा, "कृषि और संबद्ध विज्ञान के क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए एक ठोस मशीनीकरण की आवश्यकता है।" डॉ. महापात्र यहां राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर केंद्र, नई दिल्ली में 12 से 13 अप्रैल, 2022 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप), नई दिल्ली द्वारा आयोजित "राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वार्षिक सम्मेलन - 2022" के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

    महानिदेशक ने कृषि और अन्य क्षेत्रों में देश की प्रगति को मजबूत करने के लिए एकजुटता की शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, "अब, देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति में हमारी प्रासंगिकता की समीक्षा या विश्लेषण करने और खुद को पुनर्स्थापित करने का समय है"। डॉ. महापात्र ने कृषि वैज्ञानिकों से कृषि उद्योग को अधिक प्रासंगिक बनाने के तरीकों की तलाश करने का आग्रह किया। महानिदेशक द्वारा वैज्ञानिकों और युवा छात्रों के बीच अपने जीवन में अधिक ख्याति प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने की आवश्यकता को सफलता की कुंजी माना गया।

    श्री संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) और सचिव (भाकृअनुप) ने जोर देकर कहा कि, "पिछले 60 से 70 वर्षों में देश में कृषि शिक्षा के प्रतिमान और परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव आया है"। श्री गर्ग ने 1960 में पंतनगर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में बताते हुए कहा कि इसने देश में अन्य कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है। श्री गर्ग ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बताते हुए कृषि शिक्षा को अस्थि मज्जा के रूप में मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने देश के कृषि क्षेत्र को बनाए रखने के लिए मजबूत और जीवंत कृषि शिक्षा की आवश्यकताओं को रेखांकित किया।

    श्री संजीव कुमार, अतिरिक्त सचिव (डेयर) और वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप) ने देश में स्टार्ट-अप को और अधिक बढ़ावा देने पर जोर दिया। श्री कुमार ने भाकृअनुप के यूट्यूब पेज पर सामग्री की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया।

    प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली ने भाकृअनुप के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की जिसने देश को खाद्य फसलों में आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कोविड-19 महामारी काल के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भाकृअनुप के कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किए गए बिना शर्त समर्थन को भी रेखांकित किया।

    डॉ. आर.के. मित्तल, अध्यक्ष भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ और कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश ने भी इस अवसर पर विचार-विमर्श किया।

    डॉ. आर.सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा), भाकृअनुप ने स्वागत संबोधन में सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों को रेखांकित किया। डॉ. अग्रवाल के संबोधन में कृषि विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में भाकृअनुप संस्थानों द्वारा की गई प्रमुख उपलब्धियों को भी रेखांकित किया गया।

    इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने भाकृअनुप के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन भी किया।

    सम्मेलन में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति; भाकृअनुप के उप महानिदेशक; कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुखों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ भाकृअनुप एवं एनएएचईपी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

    (स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)

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    भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत है – श्री तोमर

    श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में 5 जनवरी, 2021, नई दिल्ली को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया।
    श्री तोमर ने कहा कि योजनाओं, कार्यक्रमों तथा कृषि में हो रहे नित नए अनुसंधानों को राजभाषा के माध्यम से देश के सभी किसानों तक पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सुदूर गाँव के किसान भी लाभ की स्थिति में होंगे। मंत्री ने कहा कि राजभाषा हिंदी के प्रति हम सब के मन में सम्मान है और इस बात की महती आवश्यकता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह सम्मान निरंतर बढ़े।
    श्री तोमर ने कहा कि भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत व एकता की परिचायक है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार का कामकाज अधिक-से-अधिक हिंदी में होना चाहिए। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में बनाए जा रहे सरल हिंदी शब्द कोष का कार्य समय-सीमा में पूरा करने का दिशा-निर्देश देने के साथ-साथ किसानों के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हिंदी में किए जा रहे कार्यों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्रियान्वयन की गति निरंतर बढ़ते रहना चाहिए।
    श्री परशोत्तम रूपाला, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि सरल हिंदी के उपयोग तथा अनुपालन से राष्ट्रभाषा का गौरव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा के माध्यम से देशभक्ति के भाव प्रबल होते हैं।
    श्री कैलाश चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि देश के अधिकांश राज्यों में हिंदी बोली व समझी जाती है, ऐसे में किसानों को सारी जानकारी हिंदी में मिलेगी तो उन्हें आसानी होगी।
    समिति के सदस्य सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल, डा. रामबोध पांडे व श्री विजय कुमार सहित श्री संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार और डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने भी अपना विचार रखा।

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    11 दिसंबर, 2019, नई दिल्ली
    डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, नई दिल्ली में बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी की पहल) देशों के लिए जलवायु स्मार्ट खेती प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। यह संगोष्ठी कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा 11 से 13 दिसंबर, 2019 तक आयोजित किया जा रहा है।

    डॉ. महापात्र ने अपने उद्घाटन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के बावजूद तकनीकी हस्तक्षेपों को अपनाकर किसानों की आय को प्रभावी ढंग से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जलवायु अनुकूल कृषि के घटक के रूप में कृषि मशीनीकरण प्रौद्योगिकी को लागू करते समय छोटी जोत वाली खेती एक चुनौती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्यों को परिभाषित करने, प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे उन परिस्थितियों के अनुकूल हों जो तेजी से उभर रही हैं और उत्पादन प्रणालियों को चुनौती दे रही हैं। महानिदेशक ने कहा कि भारत बिम्सटेक देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
    श्री हान थीन क्याव, निदेशक, बिम्सटेक सचिवालय, म्यांमार ने किसानों से आग्रह किया कि वे दुनिया में बदलते जलवायु परिदृश्य के अनुसार खेती और कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाएँ। इससे फसलों और खाद्य उत्पादों की पोषण गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    श्री वीरेंदर पॉल, संयुक्त सचिव, बिम्सटेक, सार्क और नालंदा, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने त्वरित क्षेत्रीय संपर्क और व्यापार को बिम्सटेक देशों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण कुंजी के तौर पर माना। श्री पॉल ने कृषि को किसी देश के आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक माना।
    श्री सुशील कुमार, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.) के साथ इस दौरान भाकृअनुप और डेयर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
    डॉ. ए. अरुणाचलम, अतिरिक्त महानिदेशक, (अंतरराष्ट्रीय संबंध), भाकृअनुप ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में संगोष्ठी के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

    इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सभी सात बिम्सटेक देशों - भूटान, बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड – सहित बिम्सटेक सचिवालय के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
    बिम्सटेक देशों के लिए ‘जलवायु स्मार्ट खेती प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन भारत सरकार की पहल के रूप में किया गया है, जैसा कि 30-31 अगस्त, 2019 को काठमांडू में आयोजित चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के माननीय प्रधान मंत्री ने घोषणा की थी।
    अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिक दृष्टिकोणों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के साथ अधिक उत्पादकता और लचीलापन के लिए उष्णकटिबंधीय छोटे धारक कृषि प्रणालियों में सुधार को सक्षम करने हेतु अनुभव साझाकरण को बढ़ावा देना है।
    (स्त्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)

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