परिपत्र पुरालेख

  • 2nd February 2023

    19 जनवरी 2023 , पुणे

    केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पुणे के नए प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया।

    श्री तोमर ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि केवीके कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि देश में 731 केवीके किसानों की समृद्धि बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति का सामना करने के लिए कई जलवायु अनुकूल एवं बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास किया है। उन्होंने केवीके के वैज्ञानिकों से वर्तमान स्थिति में और गंभीरता से काम करने का आग्रह किया।

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    श्री कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि इस जोन के लिए अटारी भवन की आवश्यकता थी और इसके साथ उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि माननीय प्रधानमंत्री ने हमेशा कृषि में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने केवीके के प्रयासों की सराहना की एवं केवीके को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री चौधरी ने प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के साथ-साथ प्राकृतिक खेती और बाजरे की खेती को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया।

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    श्री चौधरी ने प्राकृतिक खेती और बाजरा पर एक कार्यशाला का उद्घाटन किया।

    डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने एक संदेश के माध्यम से बताया कि अटारी पुणे ने 82 केवीके के माध्यम से महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के किसानों के लिए कृषि के विविध मुद्दों को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि किसानों की सहायता के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के तहत मिट्टी और जल संरक्षण, सटीक खेती, रेशम उत्पादन, बांस की खेती, उच्च तकनीक आधारित कृषि, उन्नत डेयरी उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, आईएफएस मॉडल का विकास, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने, आदि के लिए तकनीकी का प्रसार किया है। डॉ. पाठक ने कहा कि इस प्रमुख ‘जोन’ के केवीके ने बड़ी संख्या में एफपीओ, महिला एसएचजी एवं किसान समूहों के साथ काम किया है, और लाइन विभागों के साथ सक्रिय जुड़ाव को भी स्थापित किया है।

    डॉ. यू.एस. गौतम, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने अपने स्वागत संबोधन में प्रशासनिक भवन के समय पर पूरा होने की सराहना की और पिछले पांच वर्षों के दौरान अटारी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी केवीके से आग्रह किया कि वो डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अधिक से अधिक किसानों तक अपनी पहुंच बना सकते हैं जिससे किसान और अधिक लाभान्वित होंगे।

    पी.पी. कनेरी मठ, कोल्हापुर के अध्यक्ष, अद्रुश्य कदसिद्धेश्वर स्वामी ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्वदेशी गाय का पालन, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, तथा आधुनिक विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने का आग्रह किया।

    डॉ. पी.जी. पाटिल, कुलपति, एमपीकेवी, राहुरी ने एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल, हाई-टेक खेती को अपनाने और मोटे अनाज को मौजूदा फसल प्रणाली का एक घटक बनाने पर जोर दिया।

    डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने पोषण-संवेदनशील कृषि के माध्यम से निकट अभिसरण, डिजिटल कृषि, सफल आईएफए मॉडल, मृदा स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य को समृद्ध करने पर जोर दिया।

    इस अवसर पर सभी एसएयू के कुलपति गण, भाकृअनुप के वरिष्ठ अधिकारी गण, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक उपस्थित रहे।

    इस कार्यक्रम में, अटारी पुणे के पांच साल की यात्रा पर एक लघु फिल्म और 'एकम्प्लिशमेंट्स ऑफ अटारी पुणे - फाइव इयर्स ग्लोरियस जर्नी' नामक पुस्तक का विमोचन भी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।

    यहां, प्राकृतिक खेती और बाजरा पर आयोजित कार्यशाला में एसएयू के कुलपतियों, एनजीओ केवीके के अध्यक्षों, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों, विस्तार शिक्षा के निदेशकों और इस ‘जोन’ के 82 केवीके के प्रमुखों सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में शिरकत की।

    (स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे)

  • 30th January 2023

    15 जनवरी,2023

    डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने आज भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर का दौरा किया और किसानों, वैज्ञानिकों, संस्थानों के कर्मचारियों और कोलकाता स्थित भाकृअनुप संस्थानों के क्षेत्रीय स्टेशनों के निदेशकों और प्रमुखों के साथ भी बातचीत की।

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    अपने संबोधन में, उन्होंने किसानों की भागीदारी प्रौद्योगिकी विकास और ऑन-फार्म अनुसंधान पर जोर दिया। डॉ. पाठक ने किसानों से आग्रह किया कि वे खेती में सबसे अधिक कठिनाई की पहचान करें तथा वैज्ञानिकों से संपर्क करें ताकि किसानों के खेतों में ऑन-फार्म प्रयोगों के माध्यम से व्यावहारिक समस्या-समाधान तकनीकों को विकसित किया जा सके। महानिदेशक ने आह्वान किया कि भाकृअनुप संस्थानों को भविष्य की चुनौतियों और परिषद में शुरू किए जा रहे परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी गतिविधियों में और अधिक जीवंतता लाने की जरूरत है।

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    डॉ. पाठक ने कुछ प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया और भाकृअनुप-क्रिजाफ द्वारा विकसित कृषि उपकरणों और महत्वपूर्ण कृषि आदानों का वितरण किया। उन्होंने भाकृअनुप-सीआरआईजेएएफ (क्रिजाफ) अनुसंधान फार्म के कुछ फील्ड प्रयोगों की भी समीक्षा की और फाइबर संग्रहालय और प्रदर्शनी हॉल का दौरा किया जहां सभी व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों और विविध के फाइबर का प्रदर्शन किया गया था। बाद में उन्होंने संस्थान के मुख्य द्वार-सह-बिक्री काउंटर तथा भाकृअनुप-क्रिजाफ-केवीके, उत्तर-24 परगना (अतिरिक्त) के किसान छात्रावास का उद्घाटन किया।

    इससे पहले, डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ ने संस्थान की हाल की उपलब्धियों और संस्थान द्वारा व्यवसायीकरण की गई तकनीकों और जूट फाइबर की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार तथा इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. कार ने कहा कि संस्थान ने जूट और संबद्ध फाइबर के सुधार के लिए अनुसंधान परियोजनाओं को आवश्यकता आधारित, मांग आधारित, समस्या समाधान आधारित कार्यक्रम में बदल दिया है। उन्होंने किसानों से उनके लिए बनाई गई सुविधाओं का उपयोग करने और संस्थान के कर्मियों से स्वतंत्र रूप से मिलने का भी आग्रह किया।

    कार्यक्रम में लगभग 250 किसानों, खेतिहर महिलाओं, एसएचजी सदस्यों, वैज्ञानिकों और भाकृअनुप संस्थानों के अधिकारियों ने भाग लिया।

    (स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)

  • 21st January 2023

    भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए किसान की समृद्धि आवश्यक - श्री तोमर

    21जनवरी, 2023 उदयपुर

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने सियाखेड़ी, वल्लभनगर में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) के नवनिर्मित भवन के लोकार्पण के अवसर पर किसान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत ही गर्व एवं सम्मान का विषय है कि देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में हमारे किसान भाइयों की महती भूमिका रही है। हमारा देश कृषि प्रधान देश रहा है और कोविड विपदा के समय किसानों ने अपनी मेहनत और लगन से देश को संभाल कर यह सिद्ध भी किया है। देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए हमारे किसान भाइयों की समृद्धि एवं गांव में खुशहाली जरूरी है, इसी को देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने किसान विकास के लिए अनेकों योजनाएं प्रारंभ की है जिनका लाभ धरातल पर महसूस किया जा सकता है।

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    केन्द्रीय मंत्री ने क्षेत्र के किसानों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत वल्लभनगर का नवनिर्मित कृषि विज्ञान केन्द्र भवन की सुविधा तथा इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले नवीन संसाधनों एवं नए नए कृषि ज्ञान के माध्यम से क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों को समृद्ध बनाएगा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार 713 कृषि विज्ञान केन्द्रों, 74 कृषि विश्वविद्यालयों, तीन केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और 100 से अधिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अग्रणी संस्थानों के माध्यम से देश के कृषि विकास, कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार में अपना योगदान दे रही है।

    कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा की देश के कृषि विज्ञान केन्द्र भारत को आत्मनिर्भर बनाने तथा किसान की समृद्धि के मुख्य केन्द्र बिंदु हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय और उत्पादन को बढ़ाने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रयोगशालाओं में विकसित नई कृषि तकनीकों एवं उन्नत कृषि बीजों को किसान तक पहुंचाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान में केवीके की महती भूमिका रही है। श्री चौधरी ने बताया कि डिजिटल टेक्नोलॉजी तथा ड्रोन तकनीक की उपयोगिता को देखते हुए इस प्रकार के अन्य नवीनतम तकनीक भाकृअनुप एवं इनके संस्थानों द्वारा किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है।

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    इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि चित्तौड़ गढ़ के सांसद, श्री सी.पी. जोशी ने आशा व्यक्त की कि वल्लभनगर का यह कृषि विज्ञान केन्द्र पशुपालन के क्षेत्र में एक मॉडल केवीके बनने की क्षमता को प्रतिष्ठापित करेगा। उन्होंने इस अवसर पर चित्तौड़ के प्रगतिशील कृषक, श्री अरविंद का उल्लेख किया और अतिथियों ने उन्हें सम्मानित भी किया।

    महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि भारत सरकार के प्रस्ताव पर, संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष (2023) को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है जिसके तहत देश में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं। इस अवसर पर अतिथियों ने पोषक अनाज पर एक विशेष कैलेंडर का भी विमोचन किया।

    प्रसार शिक्षा निदेशक, डॉ आर.ए. कौशिक ने बताया कि केवीके खेती व्यवसाय को रोजगारोन्मुखी एवं आर्थिक रूप से लाभकारी एवं सम्बल प्रदान करने वाले व्यवसाय के रूप में विकसित करने में अपना अहम योगदान दे रहा है। उन्होने बताया कि इस अवसर पर केवीके परिसर में नवीनतम कृषि तकनीको एवं प्रसंस्कृत उत्पादों, उन्नत पशुओं एवं प्रजातियां तथा पोषक अनाज के उत्पादन तकनीकों एवं विभिन्न कृषि यंत्रों इत्यादि की एक विशाल कृषि प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा, जिससे तकनीकी ज्ञान के प्रति किसान जागरूक हो।

    केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी, डॉ. आर.एल. सोनी ने बताया की कार्यक्रम को, डॉ. उधम सिंह गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि प्रसार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने भी विशिष्ठ अतिथि के रुप में संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. एस.के. सिंह, निदेशक, अटारी जोधपुर, स्वामी अभय दास जी, श्री हिम्मत सिंह झाला, डॉ. बी.आर. चौधरी, श्री डली चांद डांगी, प्रधान, वल्लभनगर तथा विश्वविध्यालय के प्रबंध मंडल सदस्य, वरिष्ट अधिकारी, निदेशक, अधिष्ठता, कृषि वैज्ञानिक एवं किसान भाइयों एवं बहनों की गरिमामयी उपस्थिति रहीl

    इस अवसर पर अतिथियों द्वारा राजस्थान खेती पर ‘प्रताप’ के जनवरी अंक तथा विभिन्न फोल्डर्स का विमोचन भी किया गया।

    यहां, पंडाल में भी लगभग 2500 कृषक एवं अतिथि उपस्थिति थे।

    (स्रोतः महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर)

  • 20th January 2023

    3 दिसंबर ,2022 ग्वालियर
    केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।
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    कार्यशाला को संबोधित करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह केवल आजीविका तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सभी के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करती है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि आज हमारा देश कृषि में आत्मनिर्भर हो गया है और अब भारत अन्य देशों को भी भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम है। श्री तोमर ने कहा कि रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है साथ ही उपयोगी सूक्ष्म जीव मारे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर इसे एक जन आंदोलन का रूप दे रहे हैं।
    श्री तोमर ने कहा कि प्राकृतिक खेती समय की मांग है क्योंकि इसमें लागत कम आती है और उत्पाद का अधिक मूल्य मिलता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया जाए। उन्होंने स्वस्थ मन, स्वस्थ भोजन, स्वस्थ कृषि और स्वस्थ मानव के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए।
    केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जैसे देश के हर जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र हैं, वैसे ही कृषि विज्ञान केन्द्रों में सबसे पहले प्राकृतिक खेती शुरू की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती के तरीकों को जल्द ही कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
    श्री भारत सिंह कुशवाहा, मध्य प्रदेश के उद्यानिकी मंत्री ने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि मानव और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खोती को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह पशुपालन को भी बढ़ावा देता है क्योंकि प्राकृतिक खेती में पशुपालन एक महत्वपूर्ण घटक है।
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    डॉ. वी.पी. चहल, डीडीजी (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को देश के किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दी है।
    उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के विषय विशेषज्ञों के लिए कुरुक्षेत्र में दो दिवसीय प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनरों को किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और खेत में ही उनके सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
    विशिष्ट अतिथि, डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, मणिपुर ने कहा कि यह पहली बार है कि प्राकृतिक खेती के लिए इस प्रकार की राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला देश भर में आयोजित की जा रही है, जिसमें केवीके विषय विशेषज्ञ और देश के 400 से अधिक जिले के प्रगतिशील किसान शामिल हो रहे हैं।
    डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला, कुलपति, आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर, म.प्र. ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से प्राकृतिक खेती की जाती है, उदाहरण के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थानांतरित खेती इसका एक उदाहरण है। उन्होंने आग्रह किया कि कृषि वैज्ञानिकों को समाधान खोजने और प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक किस्मों को विकसित करने के लिए किसानों के साथ काम करना होगा।
    इससे पहले, डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जबलपुर ने इस कार्यशाला में अपने स्वागत संबोधन में देश भर के किसानों को प्राकृतिक खेती प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
    इस कार्यक्रम में, अटारी के निदेशकों और 425 केवीके के वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिसमें देश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 20 उच्च दर्जे के किसान और 300 सामान्य किसान शामिल थे।
    (स्रोत: कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर)

  • 20th January 2023

    पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए मिट्टी की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव एवं पशु स्वास्थ्य वास्तव में मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करता है, क्योंकि यह हमें स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक उत्पादन प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ पौधों की वृद्धि को पोषित करता है। एक स्वस्थ मिट्टी, पानी और पोषक तत्वों के उचित प्रतिधारण और उसके वहाव को सुनिश्चित करेगी, जड़ विकास को बढ़ावा देगी और इस प्रक्रिया को बनाए रखेगी, साथ ही मिट्टी के जैविक आवास को बनाए रखेगी, इस पुरे प्रबंधन को व्यक्त करेगी, क्षरण के प्रति मुखर होगी और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए माध्यम के रूप में कार्य करेगी।
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    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) द्वारा अपने अनुसंधान संस्थानों और केवीके के माध्यम से इस वर्ष पूरे देश में 5 दिसंबर 2022 को "मृदा: जहां भोजन शुरू होता है" विषय के तहत विश्व मृदा दिवस 2022 मनाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मृदा जागरूकता बढ़ाना और मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए समाजों को प्रोत्साहित करके स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। "विश्व मृदा दिवस" पर, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा राष्ट्र को संदेश दिया गया साथ ही, डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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    इस अवसर पर, व्याख्यान, क्षेत्र एवं प्रयोगशाला भ्रमण, प्रदर्शन, विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान, समूह चर्चा, वाद-विवाद, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, किसानों, कर्मचारियों एवं स्कूली बच्चों के बीच प्रश्नोत्तरी आदि विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, किसानों को इनपुट और मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने के अलावा हितधारक के बीच स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की गई। उन्हें मृदा परीक्षण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन, उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद का उत्पादन करने के लिए फसल अवशेषों के इन-सीटू/एक्स-सीटू अपघटन, मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए जैव उर्वरक के उपयोग के बारे में भी सिखाया गया।

    यहां देश भर से गणमान्य व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, किसानों, तकनीकी कर्मचारियों और छात्रों सहित कुल 76,000 प्रतिभागियों ने शारीरिक रूप से एवं आभासी रूप से भाग लिया।

    (स्रोतः प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन-प्रभाग, भाकृअनुप)

  • 20th January 2023

    17 - 18 नवंबर,2022 कोझिकोड
    भाकृअनुप-केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (सीपीसीआरआई), कासरगोड ने 17 से 18 नवंबर के दौरान "प्रौद्योगिकी नवाचारों के माध्यम से बागवानी की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
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    डॉ. वी.ए. पार्थसारथी, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड ने कहा कि रिकॉर्ड किए गए इतिहास की तरह विज्ञान में भी कई विकृतियां हैं। उनके द्वारा अनुभवी वैज्ञानिकों से आग्रह किया गया था कि वे भारत के उन अध्ययनों की फिर से जाँच करें जिनमें पहले पश्चिम के योगदान का उल्लेख किया गया था।
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    डॉ. निर्मल बाबू, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर, ने कहा कि बागवानी और जीवन की गुणवत्ता का अटूट संबंध है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उत्कृष्टता और गुणवत्ता आवश्यक है।
    डॉ. अनीता करुण, निदेशक, भाकृअनुप-सीपीसीआरआई ने विभिन्न भारतीय बागवानी उप-क्षेत्रों की उन्नति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के पास अब प्रवृत्ति और अन्य उत्पादक देशों के साथ देश की प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश ने हाल ही में बागवानी उत्पादन में साल-दर-साल वृद्धि के रिकॉर्ड तोड़ दिया हैं।
    डॉ. विक्रमादित्य पांडे, सहायक महानिदेशक (बागवानी विज्ञान-I) ने वर्चुअल रूप से 'फलों और सब्जियों पर प्रौद्योगिकी नवाचार' पर पूर्ण व्याख्यान दिया।
    डॉ. एस.के. मल्होत्रा, परियोजना निदेशक, भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, नई दिल्ली, डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली, डॉ. जेम्स जैकब, प्रबंध निदेशक, प्लांटेशन कॉरपोरेशन ऑफ केरला, एर्नाकुलम, डॉ. सी.के. थंकामणि, निदेशक, भाकृअनुप- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझिकोड, डॉ. टी.एन. रविप्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप-काजू अनुसंधान निदेशालय, पुत्तूर ने सम्मेलन में विचार-विमर्श किया।
    'बागवानी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी नवाचारों पर हितधारकों की बैठक' के लिए एक विशेष सत्र भी आयोजित किया गया था।
    डॉ. पी. चौडप्पा, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-सीपीसीआरआई ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की।
    श्री. एम. देवराज, आईएएस, सीएमडी, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भी सत्र की शोभा बढ़ाई।
    इस तरह, कल्पा एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर द्वारा आयोजित बैठक में कृषि, सॉफ्टवेयर स्टार्ट-अप, नारियल नर्सरी, एनजीओ और कृषि-इनपुट के प्रतिभागियों ने अपने दृष्टिकोण साझा किए।
    (स्रोत: भाकृअनुप-सेन्ट्रल प्लांटेशन क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, कासरगोड)

  • 20th January 2023

    5 दिसंबर, 2022 काकद्वीप

    श्री. बंकिम चंद्र हाजरा, सुंदरबन मामलों के मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार ने आज भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान (सीबा), चेन्नई के काकद्वीप अनुसंधान केन्द्र में कियोस्क और मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया।

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    मंत्री ने सुंदरबन के लोगों के लिए एक कियोस्क खोलने के लिए सीबा द्वारा किए गए प्रयास की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि मछली के कचरे को धन में परिवर्तित करने के लिए मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई स्थापित करना एक अनूठा विचार है। बाद में श्री हाजरा ने वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया।

    डॉ. कुलदीप के. लाल, निदेशक, सीबा ने कियोस्क के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सुंदरबन के जलीय कृषक को भाकृअनुप-सीबा और अन्य भाकृअनुप संस्थानों द्वारा उनकी बेहतरी के लिए विकसित तकनीकों के बारे में जानकारी मिलेगी और स्थानीय ग्रामीणों को उचित लागत के साथ केआरसी की ताजा कृषि उपज भी मिल सकेगी।

    डॉ. देबाशीष डे, प्रभारी अधिकारी, केआरसी-सीआईबीए ने मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया और इस बात पर प्रकाश डाला कि यह न केवल मछली के कचरे को मूल्य वर्धित उत्पादों यानी प्लैंकटन प्लस और हॉर्टी प्लस में बदलकर इससे आय उत्पन्न करने में मदद करेगा। साथ ही सुंदरबन के किसानों के के विकास के अलावा मछली बाजार के वातावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलेगी।

    (स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई)

  • 13th January 2023

    अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप) द्वारा भाकृअनुप-एनएएआरएम में विचार मंथन बैठक का संबोधन

    25 नवंबर,2022

    सुश्री अलका नांगिया अरोड़ा, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप) ने आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (नार्म), हैदराबाद स्थित भाकृअनुप संस्थानों और भाकृअनुप-क्षेत्रीय कर्मचारियों, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों, प्रशासन प्रमुखों, वित्त प्रमुखों और पीएमई के प्रभारियों के साथ एक इंटरैक्टिव बैठक की अध्यक्षता की।

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    उन्होंने पीएमएफएस और टीएसए खातों के उपयोग को दोहराया, क्योंकि फंडिंग एजेंसियां संस्थानों को प्रदान किए गए बजट की कुशल और प्रभावी ट्रैकिंग के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही हैं। सुश्री नांगिया ने जोर देकर कहा कि वित्तीय संसाधन सीमित हैं इसलिए संसाधनों एवं राजस्व सृजन के लिए संस्थानों द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने भाकृअनुप में संसाधन जुटाने की रणनीतियों पर विचार-मंथन सत्र आयोजित करने और इन मुद्दों को एनएएआरएम के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लाने का सुझाव भी दिया।

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    स्वागत संबोधन में, डॉ. चौ. श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-नार्म ने भाकृअनुप के एससीएसपी, टीएसपी कार्यक्रमों सहित बजट के समय पर लाने और इसके प्रभावी उपयोग पर जोर दिया।
    हैदराबाद में स्थित भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक तथा आईआईआरआर, सीआरआईडीए, आईआईओआर, आईआईएमआर, पीडीपी, एनआरसी मीट, अटारी-हैदराबाद और एनएएआरएम तथा उनके प्रतिनिधियों ने संस्थान की उपलब्धियों और प्रशासनिक एवं वित्तीय मुद्दों को सबके सामने रखा।

    (स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी, हैदराबाद)

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