सचिव (डेयर) और महनिदेशक (भाकृअनुप) ने सचिव (डीएसआईआर) और महनिदेशक (सीएसआईआर) के साथ की बैठक

29, अप्रैल, 2022,नई दिल्ली

भाकृअनुप-सीएसआईआर सहयोगात्मक कार्यक्रम की संयुक्त संचालन समिति की तीसरी बैठक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) और डॉ शेखर सी. मंडे, सचिव (डीएसआईआर) और महानिदेशक (सीएसआईआर) की सह-अध्यक्षता में आज यहां अनुसंधान भवन में आयोजित की गई। प्रधानमंत्री की नई पहल के तहत न्यूनतम संसाधनों का उपयोग कर देश के किसानों के कल्याण में साझा गतिविधियों को मजबूत करने के लिए बैठक का आयोजन किया गया।

डॉ. महापात्र ने दोनों संगठनों के बीच कपास अनुसंधान और उन्नत किस्मों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में सफल सहयोग और प्रगति के लिए डॉ. मंडे को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए भविष्य की कार्य योजना और समयरेखा को अंतिम रूप देने के लिए दोनों संगठनों के संबंधित वैज्ञानिकों की अलग-अलग बैठकें आयोजित करने की जरुरत है और दोनों वैज्ञानिक संगठन के बीच सहयोग को सफल बनाने के लिए डॉ मांडे को पुन: धन्यवाद दिया।

डॉ. मंडे ने सीएसआईआर और भाकृअनुप की सहयोगी गतिविधियों में हुई प्रगति की सराहना की। उन्होंने सफल सहयोग के लिए भी धन्यवाद दिया और भविष्य के प्रयासों के लिए बड़ी सफलता की कामना की।

डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप; डॉ. तिलक राज शर्मा, उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप; डॉ. आनंद कुमार सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप और डॉ. आर.के. सिंह, एडीजी (सीसी और एफएफसी), भाकृअनुप के साथ डॉ. के.वी. प्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप-डीएफआर के साथ डॉ. विभा मल्होत्रा साहनी, वैज्ञानिक 'एच' और हेड, आईपीयू; डॉ मीनाक्षी सिंह, मुख्य वैज्ञानिक (टीएमडी); डॉ. सरोज के. बारिक, निदेशक, एनबीआरआई और सीएसआईआर संस्थानों से संबंधित अन्य निदेशकों ने भी बैठक में भाग लिया।

बैठक के दौरान भविष्य में सहयोग के लिए कपास और सुगंध मिशन, फूलों की खेती, समुद्री शैवाल, नई किस्म पंजीकरण और सटीक कृषि के तहत की जाने वाली गतिविधियों पर प्रस्तुतियां दी गईं। इस दौरान मामले पर विस्तार से चर्चा की गई और निर्यात के नए रास्ते खोलने के लिए नए उत्पादों के विकास एवं सहयोग के लिए भविष्य की गतिविधियों की पहचान की गई है।

इस अवसर पर दोनों संगठनों के बीच चल रही सहयोगी गतिविधियों की प्रगति की भी समीक्षा की गई।

(स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली)