रानी लक्ष्मी बाई सेंट्रल कृषि विश्वविद्यालय
रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी 284003
पृष्ठभूमि
रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एक स्वायत्त संगठन है, जिसका मुख्यालय झांसी (उत्तर प्रदेश) में है। यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जिसे भारत सरकार द्वारा संसद के एक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में 5 मार्च 2014 को स्थापित किया गया था। विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, इसका मुख्यालय और घटक कृषि महाविद्यालय और बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय झांसी में स्थित हैं। दतिया (मध्य प्रदेश) में दो महाविद्यालय नामत: पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय और मात्स्यिकी महाविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के छह वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 के दौरान, विश्वविद्यालय ने बुनियादी ढांचे और संकाय सदस्यों की भर्तियों सहित अपनी अधिदेशित गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास किया है। विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने कम से कम समय सीमा के भीतर संगठनात्मक दृष्टि को साकार करने के सामूहिक महत्वकांक्षा को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के साथ अथक प्रयास किया। विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा, अनुसंधान में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने और किसानों को हर संभव तरीके से समर्थन देने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। कृषि महाविद्यालय सहित रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा 2021 में 5 वर्षों की अवधि के लिए मान्यता दी गई है।
अकादमिक
रानी लक्ष्मी बाई कृषि विश्वविद्यालय में तीन स्नातक (यूजी) कार्यक्रम अर्थात बी.एससी. (ऑनर्स) कृषि, बी.एससी. (ऑनर्स) बागवानी और बी.एससी. (ऑनर्स) वानिकी पाठयक्रमों का संचालन किया जा रहा है। साथ ही आठ विषयों में स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों जैसे आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन, सस्य विज्ञान, पादप रोग विज्ञान, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान, कीट विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फल विज्ञान और सिल्वीकल्चर एवं कृषि वानिकी का अध्यापन किया जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय में बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक वातावरण बनाए रखने हेतु भाकृअनुप-अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के माध्यम से छात्रों को विभिन्न स्नातकोत्तर/स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश दिया जाता है। वैधानिक मानदंडों का पालन करते हुए कुल छात्रों की संख्या में वृद्धि करके आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षण नीति को भी सफलतापूर्वक लागू किया गया था। इसके अलावा, स्वीकृत नियमित संकाय पदों को भारत सरकार द्वारा निर्धारित नए रोस्टर का अनुपालन करते हुए भरा गया है। यूनिवर्सिटी इंटरनल क्वालिटी असेसमेंट सेल (IQAC) को परिभाषित लक्ष्यों और कार्यों के अनुरूप पूरी तरह कार्यात्मक बनाया गया था। कोविड 19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर, नियोजित शैक्षिक गतिविधियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जारी रखने के लिए शिक्षकों और छात्रों दोनों को प्रशिक्षित करने के लिए सभी संभावित प्रयास किए गए। विश्वविद्यालय समुदाय में समुदायिक भावना पैदा करने, सुखद यादों, मस्ती और उत्साह के लिए इंटर कॉलेज यूथ फेस्टिवल, अखिल भारतीय कृषि विश्वविद्यालय युवा महोत्सव, अखिल भारतीय अंतर कृषि विश्वविद्यालय खेल-कूद में प्रतिनिधित्व करने के अलावा, संकाय सदस्य और छात्र अनेक कार्यक्रमों जैसे स्टूडेंट रेडी, स्वच्छ भारत अभियान, राष्ट्रीय समाज सेवा, राष्ट्रीय त्यौहार, खेल-कूद, हिंदी पखवाड़ा में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में उत्कृष्टता के लिए शिक्षण-अध्ययन के माहौल को मजबूत करने के लिए एनएएचईपी के तहत 497.45 लाख रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ आईसीएआर-विश्व बैंक प्रायोजित एक परियोजना लागू की गई है।
अनुसंधान
अनुसंधान कार्यक्रम मुख्य रूप से दलहनों और तिलहनों में प्रौद्योगिकी-संचालित उत्पादन वृद्धि पर केंद्रित हैं, विशेष रूप से नमी की कमी या वर्षा आधारित परिस्थितियों में। चना, मसूर जैसे दलहनों और रेपसीड-सरसों एवं अलसी जैसे तिलहनों को फसल प्रणाली में शामिल करने से सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रचलित प्रमुख कृषि प्रणालियों की उत्पादकता और स्थिरता में और तेजी आने की संभावना है। विश्वविद्यालय में दो आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं (चने पर एआईसीआरपी और रेपसीड-सरसों पर एआईसीआरपी) पर कार्य संचालन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय किसानों की आय बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य वाली बागवानी / औषधीय / वानिकी फसलों की खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए उत्पादन तकनीकों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। स्वैच्छिक आधार पर अनुसंधान कार्य विभिन्न भाकृअनुप-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के तहत किया जा रहा है, जैसे मक्का, जौ, बाजरा, तिल और नाइजर की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने हेतु मध्य भारत के लिए उच्च उपज, बहु रोग प्रतिरोधी किस्मों के विकास का कार्य किया जा रहा है। देसी और काबुली चने की किस्मों में जल अवशोषण क्षमता ने संबंधित समूहों के बीच व्यापक भिन्नता को दर्शाया। देसी और काबुली चने की किस्मों की औसत प्रतिशत जल अवशोषण क्षमता क्रमशः 90.6 और 92.7 थी। सीडलिंग ओज ने देसी समूह में 0.46-4.34 सेंमी और काबुली समूह में 0.48-2.95 सेंमी, औसतन क्रमशः 1.64 सेंमी और 1.60 सेंमी के साथ व्यापक भिन्नता दर्शाया।
जननद्रव्य के 91 वंशक्रमों वाली गेहूं की एक समन्वित जर्मप्लाज्म नर्सरी का मूल्यांकन किया गया। कुलीन अंतर्राष्ट्रीय जननद्रव्य नर्सरी के 91 जननद्रव्य वंशक्रमों में से उपज और क्लोरोफिल सामग्री के आधार पर गेहूं के पन्द्रह आशाजनक जननद्रव्यों की पहचान की गई। फसल उत्पादकता और इनपुट-उपयोग दक्षता बढ़ाने हेतु लाइन बुआई को बढ़ावा देने के लिए मूंग की बुआई तकनीक को मानकीकृत किया गया। विभिन्न बुआई मशीनों द्वारा लिया गया समय शून्य-उर्वरक-बीज ड्रिल (4 घंटे / हैक्टर) के लिए सबसे कम था, जबकि किसानों की प्रथा के तहत यह अधिकतम (6.5 घंटे / हैक्टर) था। इसी प्रकार, पारंपरिक विधि के तहत प्राप्त बीज उपज अन्य तकनीकों की तुलना में 22.4-33.3% कम (542 किग्रा / हैक्टर) थी।
एलोवेरा, ऑक्मुमट्यूनीफ्लोरम एवं विथानियासोम्निफेरा की इंटरक्रॉपिंग की क्षमता और कैनवालियेंसीफॉर्मिस बारहमासी वृक्ष प्रजातियों को क्षेत्र में प्रचार के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है। अनार की विभिन्न किस्मों का मूल्यांकन किया गया, जिनमें से 'रूबी' और 'सुपर भगवा' बुंदेलखंड क्षेत्र में खेती के लिए उपयुक्त पाई गईं। इसी तरह, गुलदाउदी (व्हाइट स्टार और करनाल पिंकी) की स्प्रे प्रकार की किस्में विभिन्न विकास और पुष्पण मापदंडों के आधार पर क्षेत्र के लिए आशाजनक पाई गईं।
बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों की बीज आवश्यकताओं के लिए बीज-हब परियोजनाओं के तहत दलहन (चना, मसूर, मटर, मूंग और उड़द) और तिलहन (सरसों और अलसी) फसलों की हाल ही में जारी उच्च उपज देने वाली किस्मों के 1270 क्विंटल से अधिक गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन किया गया था। विश्वविद्यालय के संकाय को मुख्य रूप से दलहन और तिलहन में प्रौद्योगिकी-संचालित उत्पादन वृद्धि की ओर केंद्रित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में डीबीटी, भारत सरकार द्वारा लगभग 411 लाख रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ तीन अतिरिक्त-भित्ति अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। संकाय सदस्यों ने पुस्तकों / बुलेटिनों और लोकप्रिय लेखों के प्रकाशन के अलावा ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में कई शोधपत्र प्रकाशित किए और कृषि की विभिन्न समकालीन समस्याओं पर रेडियो / टीवी वार्ता भी की।
विस्तार शिक्षा
किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से सर्वोत्तम कृषि प्रथाओं के लिए झांसी, दतिया, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में रेपसीड-सरसों (45), चना (10), मूंगफली (150), मक्का (80), चावल (17), तिल (21), मूंग (4) और अरहर (2) पर अग्रपंक्ति निरूपणों की श्रंखला का आयोजन किया गया था। रेपसीड-सरसों के अंग्रपंक्ति निरूपणों के परिणामों ने स्पष्ट रूप से प्रमाणित कर दिया कि बेहतर उत्पादन प्रथाओं को अपनाने से, किसानों को औसत शुद्ध मौद्रिक लाभ के साथ देशी प्रथाओं (1,166 किग्रा / हैक्टर) की तुलना में उत्पादकता में औसतन 26.00 प्रतिशत की वृद्धि (1,467 किग्रा / हैक्टर) और 12,069 रुपए / हैक्टर का लाभ प्राप्त हो सकता है। इसी तरह, उन्नत तकनीक ने किसानों को चने में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए एक वैकल्पिक और बेहतर प्रतिक्रिया प्रदान की। चना RVG-202 के उपयोग करने पर किसानों की प्रथाओं की तुलना में 20.00 प्रतिशत बीज की बचत, पौधों की अनुकूलतम संख्या और 27.3 से 40 प्रतिशत तक अधिक उपज का लाभ प्राप्त हुआ था। किसानों की प्रथाओं से प्राप्त रु. 28,528 प्रति हैक्टर की तुलना में उन्नत प्रथाओं के उपयोग से रु 42,978 प्रति हैक्टर का शुद्ध रिटर्न (रु/हैक्टर) प्राप्त हुआ था। दलहन, तिलहन, फल, सब्जियां और औषधीय पौधों सहित विभिन्न फसलों की वैज्ञानिक खेती को लोकप्रिय बनाने हेतु किसानों के लिए कई ऑन-फार्म / ऑफ-फार्म निरूपण, फील्ड डायग्नोस्टिक सर्वेक्षण, खेत दिवस और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। किसान के दरवाजे पर फार्म एडवाइजरी की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए, विश्वविद्यालय की वेबसाइट (http://www.rIbcau.ac.in/Farmers Corner.php) में एक समर्पित किसान कॉर्नर शामिल किया गया।
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार और रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्ववद्यालय, झांसी द्वारा संयुक्त रूप से टिकाऊ उत्पादन प्रणाली, किसानों की आय को दोगुना करने और पोषण सुरक्षा के लिए दालों को बढ़ावा देने पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री नरेंद्र सिंह तोमर, माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, भारत सरकार ने 200 से अधिक प्रतिनिधियों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया।
ढांचागत विकास
झांसी में कृषि, बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के शैक्षणिक भवन, प्रशासनिक भवन, कुलपति के आवास एवं टाइप - VI, टाइप - V, टाइप - IV और टाइप - III आवासीय मकानों, गेस्टहाउस और हॉस्टल परिसर के निर्माण कार्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण प्रगति की गई थी। शैक्षणिक और प्रशासनिक भवनों का उद्घाटन 29 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा किया गया। संकाय सदस्यों, किसानों और छात्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालय के पुस्तकालय, फसलों एवं सब्जियों के जैविक उत्पादन के लिए वर्मी-कम्पोस्टिंग इकाइयां, सब्जी उत्पादन और प्रदर्शन इकाई, फसल कैफेटेरिया, फल कैफेटेरिया, फूल कैफेटेरिया, औषधीय एवं सुगंधित पौधों के बगीचे को और सुदृढ़ किया गया। विश्वविद्यालय के पास झांसी, दतिया और निवाड़ी में लगभग 500 एकड़ जमीन है जो अनुसंधान एवं बीज उत्पादन की मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
1. भूमिका
रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जिसे भारत सरकार द्वारा संसद के एक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में वर्ष 2014 में स्थापित किया गया था। विश्वविद्यालय का मुख्यालय उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी में स्थित है। हालांकि, कृषि के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के कार्यक्रमों के संबंध में विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र और दायित्व बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर प्राथमिकता के साथ पूरे देश में फैला हुआ है। विश्वविद्यालय अधिनियम यह निर्धारित करता है कि विश्वविद्यालय के अधिकार के तहत स्थापित किए जाने वाले सभी कॉलेज, अनुसंधान और प्रयोगात्मक स्टेशन या अन्य संस्थान घटक इकाइयों के रूप में अपने अधिकारियों और प्राधिकारियों के पूर्ण प्रबंधन और नियंत्रण के तहत आएंगे। विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 4(2) के प्रावधानों के अंतर्गत विश्वविद्यालय ने अपना मुख्यालय एवं घटक कृषि महाविद्यालय तथा बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय झांसी में स्थापित किया है। दतिया, मध्य प्रदेश में दो महाविद्यालय, अर्थात् पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय और मात्स्यिकी महाविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय का वित्त पोषण सीधे कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा किया जाता है।
2. लक्ष्य
अधिनियम में विश्वविद्यालय के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से निम्नानुसार परिभाषित किया गया है:
ए. कृषि और संबद्ध विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करना जिसे वह उचित समझा जाए;
बी. इसके अलावा कृषि और संबद्ध विज्ञान में अध्ययन और अनुसंधान के संचालन की उन्नति;
सी. अपने अधिकार क्षेत्र के तहत राज्यों के बुंदेलखंड जिलों में विस्तार शिक्षा के कार्यक्रम करना;
डी. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी और संपर्क को बढ़ावा देना; और
इ. ऐसी अन्य गतिविधियाँ करना जो वह समय-समय पर निर्धारित की जाएं।
3. विश्वविद्यालय के प्राधीकारी एवं शासन
कुलपति, विश्वविद्यालय के प्रमुख कार्यकारी और शैक्षणिक प्रमुख और प्रबंधन बोर्ड, वित्त समिति और अकादमिक परिषद के पदेन अध्यक्ष हैं। प्रबंधन बोर्ड, वित्त समिति और अकादमिक परिषद शीर्ष निकाय हैं, जो प्रशासनिक, वित्तीय और शैक्षणिक मामलों पर निर्णय लेते हैं। विश्वविद्यालय की प्रस्तावित शासन संरचना को चित्र में दर्शाया गया है।
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4. शैक्षणिक गतिविधियां
स्नातक (यूजी) कार्यक्रम : शैक्षणिक नियमों के प्रावधानों के अनुसार, विभिन्न यूजी कार्यक्रमों में छात्रों को आईसीएआर-एआईईईए के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है ताकि विश्वविद्यालय में बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक वातावरण बनाए रखने में मदद हो सके। स्नातक कार्यक्रम में प्रवेश क्षमता और पंजीकृत छात्रों की संख्या नीचे दी गई है:
विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश क्षमता एवं छात्रों की संख्या
S.No. | Post | No. of Sanctioned Post | In-position | Vacant | Total |
---|---|---|---|---|---|
छात्र | बी.एससी (आनर्स) कार्यक्रमों में छात्रों की संख्या | ||||
| कृषि | बागवानी | वानिकी | कुल | |
प्रवेश क्षमता | 66 | 33 | 33 | 132 |
स्नातकोत्तर (पीजी) कार्यक्रम : स्नातकोत्तर उपाधि के लिए आठ विषयों में पीजी कार्यक्रम शुरू किया गया था, जैसे अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन, सस्य विज्ञान, पादप रोग विज्ञान, मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान, कीट विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फल विज्ञान और सिल्वीकल्चर एवं कृषि-वानिकी। भारत सरकार द्वारा निर्धारित आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए आरक्षण के मानदंडों का अनुपालन करते हुए शैक्षणिक सत्र 2019-20 से स्नातकोत्तर स्तर पर सीटों की कुल संख्या में वृद्धि की गई थी। परास्नातक डिग्री कार्यक्रम में छात्रों का प्रवेश आईसीएआर द्वारा आयोजित पीजी के लिए एआईईईए के माध्यम से किया गया था। वर्तमान में 10 राज्यों के छात्र कॉलेज में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहे हैं।
विभिन्न परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश क्षमता और छात्रों की संख्या
छात्र | कृषि महाविद्यालय |
| ||||
| सस्य विज्ञान | पादप रोगविज्ञान | आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन | मृदा | कीट | कुल |
प्रवेश क्षमता | 4 | 4 | 4 | 4 |
| 20 |
छात्र | बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय | |||
---|---|---|---|---|
| सब्जी विज्ञान | फल विज्ञान | सिल्वीकल्चर एवं कृषि-वानिकी | कुल |
प्रवेश क्षमता | 2 | 2 | 4 | 8 |
5. संकाय
विश्वविद्यालय की अधिदेशित गतिविधियों को आगे बढ़ाने और मजबूत करने के लिए, भारत सरकार द्वारा निर्धारित नए रोस्टर का पालन करते हुए वर्ष के दौरान स्वीकृत नियमित संकाय पदों पर भर्ती कार्य पूरी की गई। विश्वविद्यालय में नियमित रूप से स्वीकृत संकाय पदों की सीमित संख्या के मद्देनजर आईसीएआर मानदंडों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 66 अनुबंध/अतिथि संकाय, वैज्ञानिकों और शिक्षण सहयोगियों को भी नियुक्त किया गया।।
क्र. सं. | पद स्वीकृत पदों की संख्या कार्यरत रिक्त कुल | ||||
---|---|---|---|---|---|
1. | प्रोफेसर | 2 | 2 | 0 | 2 |
2. | एसोसिएट प्रोफेसर | 4 | 3 | 1 | 4 |
3. | सहायक प्रोफेसर/वैज्ञानिक | 29 | 29 | 0 | 29 |
4. | टीचिंग एसोसिएट्स |
| 28 | 0 | 28 |
5. | अतिथि/अनुबंध संकाय सदस्य |
| 26 | 0 | 26 |
| कुल | 34 | 88 | 1 | 89 |
कृषि, बागवानी और वानिकी में स्नातक कार्यक्रमों के छात्रों के लिए लगे हुए संकाय सदस्यों ने वर्ष के दौरान 519 क्रेडिट घंटों के संयुक्त भार के साथ विभिन्न विषयों में 177 निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा किया, इसके अलावा संकाय सदस्यों के पास 154 क्रेडिट घंटों के बराबर 59 पीजी पाठ्यक्रमों का कार्यभार भी था। संकाय सदस्यों ने वर्ष के दौरान पुस्तकों/बुलेटिनों के अलावा प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लोकप्रिय लेखों को प्रकाशित किए हैं और साथ ही कृषि की विभिन्न समकालीन समस्याओं पर अनेक रेडियो/टीवी वार्ताएं प्रस्तुत किए। आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ को परिभाषित लक्ष्यों और कार्यों के साथ पूरी तरह कार्यात्मक बनाया गया था। कोविड 19 वैश्विक महामारी के बाद, नियोजित शैक्षिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए शिक्षकों और छात्रों दोनों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षित करने के सर्वोत्तम संभव प्रयास किए गए। संकाय और छात्र, स्टूडेंट रेडी, विस्तार शिक्षा, स्वच्छ भारत अभियान, राष्ट्रीय समाज सेवा, राष्ट्रीय उत्सव, खेल-कूद, हिंदी पखवाड़ा और पाठ्येतर गतिविधियों में भी सक्रिय भागीदार थे।
6. आवंटित विषय/पाठ्यक्रम
विश्वविद्यालय ने स्नातक स्तर पर अर्थात बी.एससी. (ऑनर्स) कृषि, बी.एससी. (ऑनर्स) बागवानी और बी.एससी. (ऑनर्स) वानिकी पाठ्यक्रमों में भाकृअनुप की वी डीन समिति की समस्त सिफारिशों को लागू किया है। इसी प्रकार, पीजी स्तर पर सभी कार्यक्रमों में आईसीएआर के निर्धारित पाठ्यक्रम को अपनाया गया है। विश्वविद्यालय ने दतिया परिसर में जल्द ही पशु विज्ञान एवं पशु चिकित्सा और मत्स्य पालन विषयों में स्नातक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है, जहां दो कॉलेजों के लिए भवनों का निर्माण कार्य जोरों पर है।
गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन, मशरूम उत्पादन प्रौद्योगिकी, जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, वृक्ष प्रजातियों और औषधीय एवं सुगंधित पौधों का गुणन आदि सहित कई क्षेत्रों में छात्रों के सीखने और स्टेकहोल्डरों के एक्सपोजर एवं प्रशिक्षण के लिए अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम (ईएलपी) स्थापित किए गए हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) मॉड्यूल विकसित करने के प्रयास के अलावा वर्मीकंपोस्टिंग की दो इकाइयां बनाई गई हैं।
7. बजट
विश्वविद्यालय को अपनी गतिविधियों के निर्वहन के लिए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से धन प्राप्त होता है। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के दौरान, विश्वविद्यालय को 110.95 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
लेखा शीर्ष | बजट आवंटन (करोड़ों में) |
---|---|
अनुदान सहायता – सामान्य | 8.50 |
अनुदान सहायता – वेतन | 5.50 |
अनुदान सहायत – पूंजीगत | 96.95 |
कुल | 110.95 |
8. अन्य विवरण
8.1 पुस्तकालय
विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा गतिविधियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सूचना संसाधनों और सेवाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखा। इसने उपयोगकर्ता समुदाय के हितार्थ आईसीटी को लागू करके सूचना संसाधनों के संग्रहण, विकास और प्रसार के लिए महत्वपूर्ण व्यवस्थित प्रयास किया। वर्ष के दौरान प्रमुख पहलों, सेवाओं और गतिविधियों में यूजीसी, इनफ्लिबनेट के शोध-शुद्धि कार्यक्रम के तहत एक सेवा के रूप में साहित्यिक चोरी विरोधी साधन उरकुंड तक पहुंच, पुस्तक प्रदर्शनी का संगठन, लाइब्रेरी ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर (एलएमएस) का उपयोग कर लाइब्रेरी ऑटोमेशन, उपयोगकर्ताओं के समुदाय के लिए ओपन सोर्स पुस्तकालय प्रणाली, एक ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग (ओपीएसी) का विकास और विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 29 के प्रावधानों के तहत पुस्तकालय सलाहकार समिति का गठन शामिल है।
8.2 भवनों का निर्माण
कृषि, बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के लिए शैक्षणिक भवन, प्रशासनिक भवन, कुलपति निवास, छात्रावास और कुछ संकाय निवासों के लिए के चल रहे निर्माण को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की गई।
Hon’ble Prime Minister of India was inaugurated the newly constructed Academic and Administrative buildings on 29 August, 2020.
8.3 अभ्यासिक मैनुअल
विश्वविद्यालय ने स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए शत-प्रतिशत अभ्यासिक मैनुअल तैयार की। कृषि महाविद्यालय के अंतर्गत 46 अभ्यासिक मैनुअल तथा बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के अंतर्गत 95 अभ्यासिक मैनुअल तैयार किए गए हैं। सभी अभ्यासिक मैनुअल विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
8.4 भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक भवनों का उद्घाटन
भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदी जी द्वारा 29.08.2020 को रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक भवनों का आभासीय उद्घाटन किया गया। माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, माननीय राज्य मंत्रीगण श्री कैलाश चौधरी, श्री पुरुषोत्तम रूपाला, माननीय चांसलर डॉ. पंजाब सिंह, सचिव डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप डॉ. त्रिलोचन महापात्र और अपर सचिव, डेयर श्री एस.के. सिंह इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रधानमंत्री जी ने विश्वविद्यालय के 5 छात्रों से बातचीत भी की। इस अवसर पर लगभग 2 मिनट का वॉक-थ्रू भी रिले किया गया। इस अवसर पर झांसी के सभी विधायक, सांसद, एमएलसी और जिला प्रशासन सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। इस आयोजन हेतु देश भर के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, भाकृअनुप के संस्थानों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से 50 हजार से अधिक छात्रों, किसानों और हितधारकों ने पंजीकरण कराया। साथ ही किसान, पीएम किसान योजना के लाभार्थी और पंचायती राज के प्रतिनिधि सचिव भी जुड़े रहे। डीडी न्यूज द्वारा लाइव टेलीकास्ट प्रसारित किया गया। समाचार और प्रेस मीडिया द्वारा इस कार्यक्रम को व्यापक कवरेज दिया गया।
8.5 नोनर, दतिया में दो महाविद्यालयों के निर्माण कार्यों का शिलान्यास समारोह
माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी द्वारा दिनांक 27.09.2020 को नोनर, दतिया में पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय तथा मात्स्यिकी महाविद्यालय की स्थापना के लिए वर्चुअल शिलान्यास समारोह (परियोजना लागत लगभग 350 करोड़ रुपये) का आयोजन किया गया था। मध्य प्रदेश के माननीय गृह मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने गणमान्य व्यक्तियों और किसानों की उपस्थिति में नोनेर, दतिया परिसर में समारोह की अध्यक्षता की। माननीय कुलाधिपति, डॉ. पंजाब सिंह तथा सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप, डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी वर्चुअल रूप में कार्यक्रम में भाग लिया।
8. 6 कार्यशाला – ‘’उद्यमिता विकास के लिए बुंदेलखंड विशिष्ट जैव-संसाधनों का सस्योत्तर उपयोग”
विश्वविद्यालय ने ‘’उद्यमिता विकास के लिए बुंदेलखंड विशिष्ट जैव-संसाधनों का सस्योत्तर उपयोग” नामक विचार मंथन कार्यशाला में ज्ञान भागीदार के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यशाला का आयोजन जिला प्रशासन, झांसी और बुंदेलखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार, झांसी में 28 फरवरी, 2021 को बुंदेलखंड में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
विचार-मंथन सत्रों के दौरान कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों पर अपने विचार व्यक्त किए :
- बुंदेलखंड क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसलों के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन में इंटरैक्टिव रूप से सीखने का अनुभव प्रदान करना।
- छात्रों, स्थानीय निवासियों/प्रगतिशील उद्यमियों के क्षमता निर्माण और संस्थागत-औद्योगिक भागीदारी के लिए एक कड़ी स्थापित करना।
- प्रसंस्करित और मूल्यवर्धित उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण, वित्तीय और बाजार प्रबंधन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना।
- बुंदेलखंड में विपणन और व्यावसायीकरण के लिए संभावित उत्पादों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करना और उद्यमशीलता की मानसिकता विकसित करना।
8.7 कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सुधार के लिए सहयोग को बढ़ावा देना
भाकृअनुप के संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, निजी क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) आदि सहित कई शैक्षणिक संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित किए गए हैं। 31 अगस्त, 2021 को आरएलबीसीएयू में डॉ. डी.एस.चौहान, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) की उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की गई थी ताकि को ग्रामीण विकास और क्षमता निर्माण के लिए संभावित वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बुंदेलखंड में संभावनाओं का पता लगाया जा सके।
8.8 महत्वपूर्ण दिवस एवं कार्यक्रमों का आयोजन
विश्वविद्यालय सभी महत्वपूर्ण आदेशक दिवसों का आयोजन करता है जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, 2 अक्टूबर- महात्मा गांधी का जन्मदिन, किसान दिवस, विश्व मृदा दिवस, विश्व खाद्य दिवस, 19 नवंबर- रानी लक्ष्मी बाई का जन्मदिन, कृषि शिक्षा दिवस, 5 मार्च विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस, शिक्षक दिवस, राजभाषा पखवाड़ा सहित हिंदी दिवस, आदि। विश्वविद्यालय ने खाद्य और कृषि संगठन की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर एक कार्यक्रम और 16 अक्टूबर, 2020 को विश्व खाद्य दिवस-2020 आयोजित कर अपनी उपलब्धियों में बढ़ोतरी की है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा छात्रों और शिक्षकों के आभासी कार्यक्रम में शामिल होने के साथ दिन की शुरुआत हुई। इसके बाद न्यूट्रीअयूर और खाद्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के खेतों से आयुर्वेदिक उत्पादों, सब्जियों और फलों को प्रदर्शित किया गया और संकाय सदस्यों ने पाक व्यंजनों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की। छात्रों ने थीम पर वर्चुअल पोस्टर प्रेजेंटेशन भी आयोजित किया। कार्यक्रम का समापन गणमान्य व्यक्तियों के व्याख्यान के साथ हुआ। छात्र, पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न सांस्कृतिक और खेल आयोजनों में भी भाग लेते हैं। विश्वविद्यालय छात्रों के लिए दौरे का भी आयोजन करता है ताकि उन्हें विभिन्न शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों से परिचय प्राप्त हो सके।
8.9 संकाय सदस्यों द्वारा प्रशिक्षण/सेमिनार/कार्यशाला/संगोष्ठी में प्रतिभागिता
मानव संसाधन विकास, विश्वविद्यालय के लिए एक ध्यान केंद्रित क्षेत्र बना हुआ है। अनेक संकाय सदस्यों, छात्रों और अन्य कर्मचारियों ने विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में भाग लिया। पिछले एक वर्ष के दौरान 30 से अधिक संकाय सदस्यों ने प्रशिक्षण/कार्यशालाओं में ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में भाग लिया।
संकाय सदस्य का नाम | 01 अप्रैल 2020 से उपस्थित प्रशिक्षणों में भागीदारी (दिनों की संख्या) |
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| 4 (21, 7, 6 और 5 दिन) |
2. डॉ. प्रशान्त जम्भुलकर | 1(6 दिन), 1(15 दिन) |
3. डॉ. अमेय काले | 2 (1, 3 दिन) |
4. डॉ. अल्का जैन | 4 (21, 21, 36, 7 दिन) |
5. डॉ. आशुतोष सिंह | 9 (2, 1, 28, 5, 3,1, 1, 1 और 15 दिन) |
6. डॉ. आशुतोष कुमार श्रीवास्तव | 4 प्रशिक्षण (4,4,3,1 दिन) |
7. डॉ. घनश्याम अबरोल | 6 (1,21,60,4,4,3 दिन) |
8 डॉ. प्रियंका शर्मा | 4 (5,19,1,4) |
9. डॉ. राकेश चौधरी | 3 (5, 14,30 दिन) |
10. डॉ. श्रवण शुक्ला | 01 (4 दिन) |
11. डॉ. शुभा त्रिवेदी | 04 (5, 2, 2, 2 दिन) |
12. डॉ. ऊषा | 4 (1, 5,5,21 दिन) |
13. डॉ. डेविड भास्कर | 11 (15,21,7,3,14,15,21,1,1,1,6 दिन) |
14. डॉ. विनोद कुमार | 2 (21 दिन,10 दिन) |
15. डॉ. यमनम बिजीलक्ष्मी देवी | 2 (21 दिन और 4 दिन) |
16. डॉ. दीपिका अयाते | 2 (3 दिन एवं 4 दिन) |
17. डॉ. निशान्त भानू | 2 (10 एवं 5 दिन) |
18. डॉ. अर्पित सूयवंशी | 6 प्रशिक्षण (1,5,7,14,15 एवं 21 दिन) |
19. डॉ. घनंजय उपाध्याय | 4 (21, 1, 21, 15 दिन) |
20. डॉ. गरिमा गुप्ता | 7 (15,4,19,7,1,1,21) |
21. डॉ. जे. भट | 4 (10, 7, 1, 4) |
22. डॉ. मयमॉम सोनिया देवी | 4 (21, 1, 2 और 5 दिन) |
23. डॉ. नीलम बिसेन | 3 (21, 15, 1 दिन) |
24. डॉ. पवन कुमार | 7 (14, 28, 28, 15, 7, 1, 2 दिन) |
25. डॉ. प्रिंस कुमार | 2 (4,1 दिन) |
26. डॉ. आर. एस. तोमर | 8 (30, 21, 15, 7, 3, 3, 1, 1) |
27. डॉ. राजीव नंदन | 0 |
28. डॉ. संजीव कुमार | 5 प्रशिक्षण (1, 2, 5, 1, 21 एवं 5 दिन) |
29. डॉ. शैलेन्द्र कुमार | 9(15, 21, 20, 21, 14, 3, 15, 5, 7 दिन) |
30. डॉ. सुन्दर पाल | 8 (5,5,5,5,10,5,4,5) |
31. डॉ. तनुज मिश्रा | 2 प्रशिक्षण (4, 4 दिन) |
32. डॉ. उमेश पंकज | 7 (5, 5, 21, 4, 1, 21 & 7 दिन) |