भाकृअनुप द्वारा विश्व मृदा दिवस - 2022 का आयोजन

पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए मिट्टी की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव एवं पशु स्वास्थ्य वास्तव में मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करता है, क्योंकि यह हमें स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक उत्पादन प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ पौधों की वृद्धि को पोषित करता है। एक स्वस्थ मिट्टी, पानी और पोषक तत्वों के उचित प्रतिधारण और उसके वहाव को सुनिश्चित करेगी, जड़ विकास को बढ़ावा देगी और इस प्रक्रिया को बनाए रखेगी, साथ ही मिट्टी के जैविक आवास को बनाए रखेगी, इस पुरे प्रबंधन को व्यक्त करेगी, क्षरण के प्रति मुखर होगी और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए माध्यम के रूप में कार्य करेगी।
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) द्वारा अपने अनुसंधान संस्थानों और केवीके के माध्यम से इस वर्ष पूरे देश में 5 दिसंबर 2022 को "मृदा: जहां भोजन शुरू होता है" विषय के तहत विश्व मृदा दिवस 2022 मनाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मृदा जागरूकता बढ़ाना और मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए समाजों को प्रोत्साहित करके स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। "विश्व मृदा दिवस" पर, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा राष्ट्र को संदेश दिया गया साथ ही, डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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इस अवसर पर, व्याख्यान, क्षेत्र एवं प्रयोगशाला भ्रमण, प्रदर्शन, विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान, समूह चर्चा, वाद-विवाद, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, किसानों, कर्मचारियों एवं स्कूली बच्चों के बीच प्रश्नोत्तरी आदि विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, किसानों को इनपुट और मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने के अलावा हितधारक के बीच स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की गई। उन्हें मृदा परीक्षण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन, उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद का उत्पादन करने के लिए फसल अवशेषों के इन-सीटू/एक्स-सीटू अपघटन, मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए जैव उर्वरक के उपयोग के बारे में भी सिखाया गया।

यहां देश भर से गणमान्य व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, किसानों, तकनीकी कर्मचारियों और छात्रों सहित कुल 76,000 प्रतिभागियों ने शारीरिक रूप से एवं आभासी रूप से भाग लिया।

(स्रोतः प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन-प्रभाग, भाकृअनुप)