प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

3 दिसंबर ,2022 ग्वालियर
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।
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कार्यशाला को संबोधित करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह केवल आजीविका तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सभी के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करती है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि आज हमारा देश कृषि में आत्मनिर्भर हो गया है और अब भारत अन्य देशों को भी भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम है। श्री तोमर ने कहा कि रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है साथ ही उपयोगी सूक्ष्म जीव मारे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर इसे एक जन आंदोलन का रूप दे रहे हैं।
श्री तोमर ने कहा कि प्राकृतिक खेती समय की मांग है क्योंकि इसमें लागत कम आती है और उत्पाद का अधिक मूल्य मिलता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया जाए। उन्होंने स्वस्थ मन, स्वस्थ भोजन, स्वस्थ कृषि और स्वस्थ मानव के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जैसे देश के हर जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र हैं, वैसे ही कृषि विज्ञान केन्द्रों में सबसे पहले प्राकृतिक खेती शुरू की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती के तरीकों को जल्द ही कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
श्री भारत सिंह कुशवाहा, मध्य प्रदेश के उद्यानिकी मंत्री ने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि मानव और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खोती को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह पशुपालन को भी बढ़ावा देता है क्योंकि प्राकृतिक खेती में पशुपालन एक महत्वपूर्ण घटक है।
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डॉ. वी.पी. चहल, डीडीजी (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को देश के किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दी है।
उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के विषय विशेषज्ञों के लिए कुरुक्षेत्र में दो दिवसीय प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनरों को किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और खेत में ही उनके सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, मणिपुर ने कहा कि यह पहली बार है कि प्राकृतिक खेती के लिए इस प्रकार की राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला देश भर में आयोजित की जा रही है, जिसमें केवीके विषय विशेषज्ञ और देश के 400 से अधिक जिले के प्रगतिशील किसान शामिल हो रहे हैं।
डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला, कुलपति, आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर, म.प्र. ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से प्राकृतिक खेती की जाती है, उदाहरण के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थानांतरित खेती इसका एक उदाहरण है। उन्होंने आग्रह किया कि कृषि वैज्ञानिकों को समाधान खोजने और प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक किस्मों को विकसित करने के लिए किसानों के साथ काम करना होगा।
इससे पहले, डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जबलपुर ने इस कार्यशाला में अपने स्वागत संबोधन में देश भर के किसानों को प्राकृतिक खेती प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस कार्यक्रम में, अटारी के निदेशकों और 425 केवीके के वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिसमें देश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 20 उच्च दर्जे के किसान और 300 सामान्य किसान शामिल थे।
(स्रोत: कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर)