19 जनवरी 2023 , पुणे
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पुणे के नए प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया।
श्री तोमर ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि केवीके कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि देश में 731 केवीके किसानों की समृद्धि बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति का सामना करने के लिए कई जलवायु अनुकूल एवं बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास किया है। उन्होंने केवीके के वैज्ञानिकों से वर्तमान स्थिति में और गंभीरता से काम करने का आग्रह किया।
श्री कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि इस जोन के लिए अटारी भवन की आवश्यकता थी और इसके साथ उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि माननीय प्रधानमंत्री ने हमेशा कृषि में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने केवीके के प्रयासों की सराहना की एवं केवीके को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री चौधरी ने प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के साथ-साथ प्राकृतिक खेती और बाजरे की खेती को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया।
श्री चौधरी ने प्राकृतिक खेती और बाजरा पर एक कार्यशाला का उद्घाटन किया।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने एक संदेश के माध्यम से बताया कि अटारी पुणे ने 82 केवीके के माध्यम से महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के किसानों के लिए कृषि के विविध मुद्दों को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि किसानों की सहायता के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के तहत मिट्टी और जल संरक्षण, सटीक खेती, रेशम उत्पादन, बांस की खेती, उच्च तकनीक आधारित कृषि, उन्नत डेयरी उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, आईएफएस मॉडल का विकास, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने, आदि के लिए तकनीकी का प्रसार किया है। डॉ. पाठक ने कहा कि इस प्रमुख ‘जोन’ के केवीके ने बड़ी संख्या में एफपीओ, महिला एसएचजी एवं किसान समूहों के साथ काम किया है, और लाइन विभागों के साथ सक्रिय जुड़ाव को भी स्थापित किया है।
डॉ. यू.एस. गौतम, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने अपने स्वागत संबोधन में प्रशासनिक भवन के समय पर पूरा होने की सराहना की और पिछले पांच वर्षों के दौरान अटारी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी केवीके से आग्रह किया कि वो डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अधिक से अधिक किसानों तक अपनी पहुंच बना सकते हैं जिससे किसान और अधिक लाभान्वित होंगे।
पी.पी. कनेरी मठ, कोल्हापुर के अध्यक्ष, अद्रुश्य कदसिद्धेश्वर स्वामी ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्वदेशी गाय का पालन, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, तथा आधुनिक विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
डॉ. पी.जी. पाटिल, कुलपति, एमपीकेवी, राहुरी ने एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल, हाई-टेक खेती को अपनाने और मोटे अनाज को मौजूदा फसल प्रणाली का एक घटक बनाने पर जोर दिया।
डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने पोषण-संवेदनशील कृषि के माध्यम से निकट अभिसरण, डिजिटल कृषि, सफल आईएफए मॉडल, मृदा स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य को समृद्ध करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर सभी एसएयू के कुलपति गण, भाकृअनुप के वरिष्ठ अधिकारी गण, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में, अटारी पुणे के पांच साल की यात्रा पर एक लघु फिल्म और 'एकम्प्लिशमेंट्स ऑफ अटारी पुणे - फाइव इयर्स ग्लोरियस जर्नी' नामक पुस्तक का विमोचन भी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।
यहां, प्राकृतिक खेती और बाजरा पर आयोजित कार्यशाला में एसएयू के कुलपतियों, एनजीओ केवीके के अध्यक्षों, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों, विस्तार शिक्षा के निदेशकों और इस ‘जोन’ के 82 केवीके के प्रमुखों सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे)